Monday, September 9, 2019

राजस्थान सरकार में फार्मासिस्ट के कैडर गठन की अवश्यकता


फार्मासिस्ट के कैडर गठन की अवश्यकता क्यों ? राजस्थान के परिपेक्ष्य में 

यहां फार्मासिस्ट का कैडर गठन राजस्थान के सामाजिक, आर्थिक व चिकित्सा क्षेत्र के अभूतपूर्व सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इस हेतु आपका ध्यान निम्नलिखित तथ्यों पर दिलाना  हैं जो कैडर गठन की आवष्यकता को निष्चित करनें मे महत्वपूर्ण हैः-
  


         1.  राजस्थान की जलवायु व भौगोलिक परिदृष्य :-


जैसा कि विदित है कि राजस्थान भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक बड़ा राज्य (लगभग 3,42,239 वर्ग किमी.) है। राजस्थान की प्राचीनतम अरावली पर्वतमाला दक्षिण पष्चिम से उत्तर पूर्व की दिषा में बढ़ती हुई राज्य को दो भागों में बाॅंटती है जिस कारण राजस्थान को भौगोलिक व जलवायु परिदृष्य अत्यधिक विविधताओं से परिपूर्ण है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र जैसे कि 1. पष्चिमी मरूस्थलीय क्षेत्र, 2. अरावली पर्वतीय क्षेत्र 3. पूर्वी बनास, माही चम्बल, बेसिन के मैदानी भाग तथा 4. दक्षिणी-पूर्वी पठार जैसे अलग-अलग भौगोलिक जलवायु क्षेत्र बने हुए हैं जहाॅं वर्षा भी 10 सेमी.से लेकर 100 सेमी. तक होती है। इन सब विविधताओं के साथ ही भारत का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण यहाॅं चिकित्सा सेवाएं हमेषा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। भिन्न-भिन्न जलवायु तथा भौगोलिक परिस्थितयों के कारण राजस्थान में बीमारियों का स्वरूप, गंभीरता व पनपने का समय भी वर्ष भर में भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है जो कि अपने-आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अतः इससे निपटने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में पर्याप्त मात्रा में प्रषिक्षित स्टाफ/फार्मासिस्ट संवर्ग की आवष्यकता है ताकि स्वास्थ्य सेवाएंे सुचारू रूप से प्रदत्त की जा सके एवं राज्य सरकार की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं का पूर्ण लाभ राजस्थान की जनता को मिल सके।



2      विभिन्न स्वास्थ्य मानक एवं सूचकांक :-

कुछ स्वास्थ्य मानकों एवं सूचकांको के आंकड़ो पर नजर डालते हैं जो कि बताते हैं कि क्यो फार्मासिस्ट संवर्ग का कैडर गठन किया जाये -


(अ) मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) :-

राजस्थान के 2007 के आंकड़ों के तहत यदि मानव विकास सूचकांक का अध्ययन करें तो इसके अनुसार डॅूंगरपूर जिले का स्वास्थ्य सूचकांक निम्नतम (0.282) रहा तथा बीकानेर जिले का सर्वाधिक (0.863) रहा। एक ही राज्य के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य सूचकांक आंकड़ों में इतना अधिक अंतर बताता है कि इसे कम करने के लिए राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में पूर्ण प्रषिक्षित स्टाफ (फार्मासिस्ट) की आवष्यकता है।

साथ ही हाल ही 2011 में इण्डियन ह्यूमन डवलपमेंट इन्डेक्स रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान का मानव विकास सूचकांक केवल 0.434 रहा जो कि पूरे देष के राज्यों की तुलना में 17वें स्थान पर है। इसे और भी सुधारा जा सकता है जो केवल योग्य एवं प्रषिक्षित संवर्ग (फार्मासिस्ट) के गठन से ही सम्भव है।

(ब) अन्य मुख्य स्वास्थय सूचकांक :-         




क्र.सं.


सूचकांक

12वीं  पंचवर्षीय


योजना  में  तय



लक्ष्य
वर्तमान में  स्थिति
राजस्थान

भारत

1-
षिषु  मृत्यु  दर प्रति  1000

जीवित प्रसव पर

40

47

40
2-
मातृ  मृत्यु  दर

200
244
167
3-
कुल प्रजनन दर
2-5
2-8
2-3


4-
लिंगानुपात (0-6  वर्ष)


(2011  जनगणना  के अनुसार)




912


888


919

भारत की जनगणना, 2011 का तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि राजस्थान की दषकीय जनसंख्या वृद्वि दर 21.3 प्रतिषत है जबकि भारत की 17.0 प्रतिषत रही है, तथा राजस्थान की दषकीय वृद्वि दर भारत की दषकीय वृद्वि दर से कहीं ज्यादा है अतः इसे नियंत्रित करने हेतु भी पर्याप्त मात्रा में प्रषिक्षित स्टाफ/संवर्ग की आवष्यकता है ताकि स्वास्थ्य सेवाएें सुचारू रूप से प्रदत्त की जा सके एवं राज्य सरकार की जन कल्याणकारी सभी सुविधाओं एवं योजनाओं का पूर्ण लाभ जनता को मिल सके।

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